SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 94
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७८ जैन पूजा पाठ नग्रह पानी गिलास नकार अशुचि ललि, धरम गुरु न परखिये। पर-दोष किये घाम डिगते की, बुधिर कर हरखिये।। चर संघको वात्सल्य भील, धरम की परभावना । गुण जाठचा गुन आठ लहिक, इहां पर न आना ॥ २ ॥ ॐ ही लबाग उहिमगितिटोहितन्यदर्शनाय पूार्च निपानाति स्वाहा। सम्पन्जान पूजा दोहा-पंसद जाके गट, लेय प्रकाशात-सान । मोह-ताल-हर-चंद्रमा, लोई, सन्यज्ञान ॥१॥ ॐ ही सदिच नन्गलान ! जब लव- जर तोप्ट। ॐ ही बटविध उन्मान । अत्र विकसि । ॐ ही अष्टविध रन्यज्ञान ! बनन्न उन्निहिली व नत्र ट् । लोरठा-तीर सुगंध सपार, त्रिप हरे लल ना करे। लल्यज्ञान विकार, आठ-सेद पूजौं लदा ॥१॥ ॐ ही अष्टविध सन्दजानाय जल निपानाति साहा ॥ १ ॥ जलकेनर घल्लार, तार हरे शीतल करे ।। ल० ॥२॥ ॐ ही कष्टविय नन्दन्नानाय चन्दन निर्वपानीति स्वाहा ॥२॥ अक्षत अयूए निहार, दारिद नाशै सुख सरै ॥ स० ॥३॥ ॐ ही अप्टदिव सन्दरज्ञानाय भलतान दिपानीति स्वाहा ॥ ३ ॥ पुहुए सुवाल उदार, खेद हरें सन शुचि करै ॥ सा॥ ॐ ही अष्टविव सम्बनानाय पुष्प निर्वपानीति स्वाहा ॥ ४ ॥
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy