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अन पूना पाठ सर
नन्दीश्वरद्वीप पूजा अडिल्ल-सरव पर्वमें बड़ो अठाई परव है।
नन्दीश्वर सुर जांहिं लिये वसु दरक है। हमें सकति लो नाहि इहां करि थापना । पूर्जा जिन गृह प्रतिमा है हित आपना ॥१॥
श्री नन्दीमा पिलिमिटिगा मर! अन अवतर आतर refrefut I मन पन्निहि वो भव भप गपट् ।
कंचन-मणि-पय-भृतार, तीरथ नीर भरा। तिहुँ धार दई निरवार, जामन मरन जरा ॥ नन्दीश्वर-श्रीजिन-धाम, बावन पुंज करों ।
वसुदिन प्रतिमा अभिराम, आनंद-भाव धरों ।। अहोगी नीलाप दिगिरि मोरे विपंचागजिनालयल्पलिन प्रतिमाभ्यो गन्ना अधिनागनाय नपानानि पाहा । ॥ १॥ भव तप हर शीतल वास, लो चन्दन नाहीं। प्रभु यह गुन कीज सांच, आयो तुम ठाहीं ॥ नंदी०॥२॥ Faश्री नन्दीश्वर ही पूर्वदक्षिणपश्चिमोत्तरे द्विपचाशज्जिनाउयस्यजिनप्रतिमाभ्यो संसारनास्निगलाय चन्दनं निर्यपागीति स्पामा ॥ २ ॥