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________________ जैन पूजा पाठ सद ५९ - - बरन अनेक रहे महकाय, फूलनसौं पूजौं जिनराय । महासुख होय, देखे नाथ परमसुख होय ॥ पांचों॥४॥ ॐ ही परमेस्सम्वन्धिजिन चैत्यालयस्यजिननिम्नेभ्यो पुप्प निर्वपामीति स्वाहा । मनवांछित बहु तुरत बनाय, चरुसौ पूजौं श्रीजिनराया महासुख होय, देखे नाथ परमसुख होय ॥पांचों ॥५॥ ॐ ही पंचमेश्मन्पन्धिजिनचैत्यालयस्यजिनविम्बेभ्यो नैवेद्य निर्वपामीति स्वाहा । तमहर उज्ज्वल ज्योति जगाय,दीपसौ पूजौं श्रीजिनराया महासुख होय, देखे नाथ परमसुख होय ॥ पांचों० ॥६॥ ॐ ही परमेहसम्यन्धिजिनचत्यालयस्यजिनविम्वेभ्यो दीप निर्दपामीति स्वाहा । खेऊ अगर अमल अधिकाय, धूपलौं पूजौं श्रीजिनराया। महासुख होय, देखे नाथ परमसुख होय ॥ पांचों० ॥७॥ ॐ ही पचमेरुनम्बन्धिजिनचैन्यालयस्यजिनयिन्येभ्यो धूप निर्वपामीति स्वाहा । सुरस सुवर्ण सुगंध लुभाय, फलसौं पूजौं श्रीजिनराया । महासुख होय, देखे नाथ परमसुख होय ॥ पांचों॥ ॐ ही पचमेरुसम्बन्धिजिनचैत्यालयस्थजिनविम्वेभ्यो फल निर्वपामोति म्यादा । आठ दरवमय अरघ बनाय, 'द्यानत' पूजौं श्रीजिनराय। महासुख होय, देख नाथ परमसुख होय॥ पांचों०॥६॥ ॐही पंचमेलम्बन्धिजिनचैत्यालयस्यजिमविम्बेभ्यो अध्यं निर्वपामीति स्वाहा ।
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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