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जेन पूजा पाठ सप्रह
सिद्ध पूजा का भावाष्टक
निजमनोमणिभाजनभारया, समरसैकसुधारसधारया |
सकल वोधकलारमणीयकं सहजसिद्धमहं परिपूजये ॥ मोय तृषा दुःख देत, सो तुमने जीती प्रभू । जलसे पूजूं मैं तोय, मेरो रोग निवारियो ॥
ॐ ही णमो सिद्धाण सिद्धपरमेष्ठिने ( सम्पत्त, णाग दसण वीर्यत्व, सुहमत अवगाहनत्व, अगुरुलघुत्व, अन्यावाघत्व अष्टगुण सहिताय ) जन्मजरामृत्यु विनाशनाय जल निर्वपामीति स्वाहा ।
सहजकर्म कलंकविनाशनै रमलभावसुवासितचन्दनैः ।
अनुपमान गुणावलिनायकं सहजसिद्धमह परिपूजये ॥
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इन अव आतप मांहिं, तुम न्यारे संसारसूं । कीज्यो शीतल छांह, चन्दन से पूजा करूं ॥ चन्दनं ॥ सहजभावसुनिर्मलतंदुलैः सकल दोपविशालविशोधनैः ।
अनुपरोध सुबोध विधानकं, सहजसिद्धमह परिपूजये ॥
हम अवगुण समुदाय, तुम अक्षय गुणके भरे । पूजूं अक्षत लाय, दोष नाश गुण कीजिये ॥ अक्षतं ॥ समयसार सुपुष्पसुमालया, सहजकर्मकरेण विशोधया ।
परमयोगवलेन वशीकृतं, सहज सिद्धमहं परिपूजये ॥