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________________ जन पूजा पाठ सप्रह ज्ञायकके आकार ममत्व निवारिक, सो परमातम सिद्ध नमूं शिरनायकै ॥२॥ सवैया ध्यान हुताशनमें अरि ईधन झोंक दियो रिपु रोक निवारी। शोक हस्यो भविलोकनको वर केवलज्ञान मयूख उघारी॥ लोक अलोक विलोक भये शिव जन्म जरामृत पडू पखारी। सिद्धन थोक बस शिव लोक तिन्हें पग धोक त्रिकाल हमारी॥. तीरथ नाथ प्रनाम करें तिनके गुण वर्णन मैं बुधि हारी। मोम गयो गलि मूसमझार रखो तहं व्योम तदाकृति धारी॥ लोक गहीर नदीपति नीर गये तरि वीर भये अविकारी । सिद्धन थोक वसे शिव लोक तिन्हें पगधोक त्रिकाल हमारी॥ दोहा- अविचलज्ञान प्रकाशते, गुण अनन्तकी खान । ध्यान धरै सो पाइये, परमसिद्ध भगवान ॥ अविनाशी आनन्दमय, गुण पूरण भगवान । शक्ति हिये परमात्मा, सकल पदारथ ज्ञान ।। चारों करम विनाशिके, उपज्यो केवल ज्ञान । इन्द्र आय स्तुति करी, पहुंचे शिवपुर थान॥ इत्याशीर्वाद पुप्पांजलिं क्षिपेत् ।
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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