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________________ जैन पूजा पाठ समह ५५ काम अनि है मोहि, निश्चय शील स्वभाव तुम । फूल चढ़ाऊँ तोहि, मेरो रोग निवारियो । पुष्पं० ॥ अकृतबोधसुदिव्यनैवेद्यकैर्विदितजातिजरामरणांतकैः । निरवधिप्रचुरात्मगुणालय, सहजसिद्ध मह परिपूजये ॥ मोहि क्षुधा दुख भूरि ध्यान खड्ग करि तुम हती | मेरी वाधा चूर, नेवज से पूजा करूं ॥ नैवेद्यं ● ॥ सहजरत्त्ररुचिप्रतिदीपकैः, रुचिविभूतितमः प्रविनाशनैः । निरवधिस्व विकाशप्रकाशनैः, सहजसिद्धमहं परिपूजये ॥ मोह तिमिर हम पास, तुम पै चेतन ज्योति है । पूजों दीप प्रकाश, मेरो तम निरवारियो ॥ दीपं० ॥ निजगुणाक्षयरूपसुधूपनैः, स्वगुणघातिमलप्रविनाशनैः । विराटबोधसुदीर्घसुखात्मक, सहजसिद्धमह परिपूजये ॥ अष्टकर्मवन जार, मुक्ति मांहि तुम सुख करो । खेऊँ धूप रसाल, अष्ट कर्म निरवारियो ॥ धूपं० ॥ परमभावफलावलिसम्पदा, सहजभावकुभावविशोधया । निजगुणास्फुरणात्मनिरजन, सहजसिद्धमह परिपूजये ॥ अन्तराय दुःख टाल, तुम अनन्त थिरता लही । पूजूं फल दरशाय, विघ्न टाल शिवफल करो ॥ फलं० ॥
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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