________________ जैन पूजा पाठ सप्रह सेवक सरज करै सनो, हो करुणानिधि देव / दुखमय भवदधि नै मुझे, तारि करू तुम सेव / शाति०१६॥ पत्ता छन्द इति जिन गुणमाला ममल रसाला जो भविजन कठे धरई। हुय दिवि अमरेस्वर, पहमि नरेस्वर, शिवसुन्दरि ततछिन वरई // ॐ ही श्री शातिनाथ जिनेन्द्राय पूर्णाध्य निर्वपामीति स्वाहा / षोडशकारण व्रत जाप समुच्चय - ॐ हो श्री दर्शनविशुद्धयादि षोडशकारण भावनाभ्यो नम / (1) ॐ हो श्री दर्शन विशुद्धये नम (2) ॐ ही श्री विनय सम्पन्नताय नम (3) ॐ ही श्री शोलव्रतेष्वनतिचाराय नम (4) ॐ ह्री श्री भाभीक्ष्णज्ञानो पयोगाथ नम (5) ॐ ह्री श्री सवैगाय नम (6) ॐ ही श्री शक्तितस्त्यामाय नम (7) ॐ ही प्री शक्तितस्नपसे नम (8) ॐ ह्री श्री साधुसमाधये नम (6) ॐ ह्री श्री वैयाव्रत्य करणाय नम (10) ॐ ही श्री महद्भक्त्यै नम (11) ॐ ह्री श्री आचार्य मक्त्यै नम (22) ॐ ही श्री बहूतभक्त्यै नम (13) ॐ ह्री श्री प्रवचनभक्त्य नम (14) ॐ ही श्री मावश्यकापरिहाणये नम (15) ॐ ही श्री मार्गप्रभावनाय नम - (2) ॐ ह्री श्री प्रवचन-वत्सलत्वाय नम / - * भजन * सांवलिया पारसनाथ शिखर पर भले विराजे जी। भले पिराजे, भले विराजे, भले विराजे जी // साव० // 1 // टोंक टॉक पर ध्वजा विराजे झालर घंटा वाजे जी। झालर की झंकार सुनो जव अनदह बाजे बाजे जी // साव० // 2 // दूर दूर से यात्री आवें मन में लेकर चाव / अष्ट द्रव्य से पूजा कीनी, पुष्प दिये चढाय // सांच० // 3 // पैंड पैड पर सिंह दहाडे जहाँ भीलों का वासा। जहां प्रभु तुम मोक्ष गये थे वहाँ लियो निरवासा // साव० // 4 // दूर दूर से मील भी आये जिनकी मोटी चोटी। जिन के दया धर्म नहीं मन में उनकी किस्मत खोटी / सांव० // 5 //