________________ 456 जन पूजा पाठ सग्रह षटखड नवविधि तियसवे, चउदहरतन भडार / कछुकारण लखिके तजे, पणचव मसिय जगार / शांति० // 6 // देव रिपि सब आयक, पूजि चले जिन बोधि / लेय सुरा सिवका धरो, विरछ नदीश्वर सोधि / शाति० / 7 / कृष्ण चतुरदसि जेठको, मनपरजे लहि ज्ञान / इद कल्याणक तप करलो, ध्यान धरया भगवान / शांति० // 8B षष्ठम करि हित असनकै, पुर सोमनस मझार / गये दयो पय मित्तजी, वरष रतन अपार : शाति० // 6 // मौनसहित वसु दुगुणही, बरस करे तप ध्यान / पौष सुकह ग्यारसि हने, घाति लह्यो प्रभु ज्ञान / शाति० 110 // समवसरन धनपति रच्यो, कमलासनपर देव / इन्द्र नरा षटद्रव्यकी, सुति थिति थुति करि एव / शांति० // 21 // धन्य जगलपद सो तनौ, मायौ तुम दरबार / धन्य उम चखि ये मथे, वदन जिनन्द निहारि / शाति० // 22 // माज सफल कर ये मये, पूजत श्रीजिन पाय / सीस सफल अब ही मयो, धोक्यो तुम प्रभु माय / शाति० // 13 // साज सफल रसना भई, तुम गुणगान करन्त / धन्य भयौ हिय मो तनी, प्रभुपदध्यान धरन्त // शाति० 1140 साज सफल जग मो तनौ, श्रवन सुनत तुमवैन / धन्य मये वसु अग थे, नमत लयौ अति चैन / शांति० // 15 // राम कहै तुम गुणतणा, इन्द लहै नहि पार / मैं मति अलप अजान हूँ, होय नही विसतार / शाति० // 16 // बरस सहस पचीसही, षोडस कम उपदेश / देय समेद पधारिये, मास रहे इक सेस / शाति० // 17 // जेठ मसित चउदसि गये, हनि अघाति सिवथान / सुरपति उत्सव अति करे, मगल मोछि कल्यान / शांति०१८॥