________________ जेठ असित चउदसि धरयो, तप तजि राज महान / सुर नर खगपति पद जज, है जज हूँ भगवान / / 3 / / ॐ ही श्री ज्येष्ठकृष्णचतुर्दश्या तपोमगलमडिताय श्री शान्तिनाथ जिनेन्द्राय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा / पोस सुकल ग्यारसि हने, घाति कर्म सुखदाय / केवल लहि वृष माखियो, जज शांति पद ध्याय // 4 / / ॐ ही श्री पौषशुक्लकादश्या ज्ञानमगलमडिताय श्री शान्तिनाथ जिनेन्द्राय अर्घ निर्वपामोति स्वाहा / कृष्ण चतुरदसि जेठकी, हनि अघाति सिवथान / गये समैदाचल थकी, जज मोक्ष कल्यान / / 5 / / ॐ हीं श्री ज्येष्ठकृष्णाचतुर्दश्या मोक्षमगलमडिताय श्री शान्तिनाथ जिनेन्द्राय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा / जयमाला सोरठा-शांति जिनेश्वर पाय, बद् मन बच कायतै / देहु सुमति जिनराय, ज्यौ विनती रुचिौ करौं / / 1 / / (चाल ससार सासरियो भाई दोहिलो) शांति करम वसुहानिक, सिद्ध भये सिव जाय / शांति करो सब लोक मे, मरज यहै सुखदाय / / शांति करो जगशांतिजी // 1 // धन्य नयरि हथनापुरी, धन्य पिता विश्वसेन / धन्य उदर जयरा सतो, शांति मये सुख देन // शांति० // 2 // भादव सप्तमि स्यामहि, गर्भकल्याणक ठानि / रतन धनद वरषाइये, षट नव मास महान / / शांति० // 3 // जेठ मसित चउजस विष, जनम कल्याणक इद / मेरु करयौ अभिषेककैं, पूजि नचे सुरवृन्द / / शांति० // 4 // हेम वरन तन सोहना, तुग धनुष चालीस / जायुवरसलख नरपति, सेवत सहस बतीस / / शांति० // 5 //