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पूजा पाठ ग्रह
सुगन्ध दशमी व्रत कथा
भादों सुदी दशमी के दिन सुगन्धित धूप से चुने के बाद स्त्री-पुरुषों को सुयोग्य वक्ता द्वारा सुगन्ध दशमी व्रत कथा का श्रवण करना चाहिये । चौपाई |
पञ्च परम गुरु वन्दन करू, ताकर मम अघ बन्धन हरु | सार सुगन्ध दशै व्रत कथा, भापत हूं भाषी जिन यथा ॥ १ ॥ गुरु गुरु शारद के परसादि, कहस्यू मेद सार पूजादि । जे भवि व्रत करिह सही, तिन स्वर्गादिक पदवी लही ॥ २ ॥ सन्मति जिन गौतम सुनिराय, तिनके पढ नमि श्रेणिक राय । करत भयो इम थुति सुखकार, विन कारण जग बन्धु करार ॥ ३ ॥ भन्न कमल प्रतिबोधन सूर्य, मुक्ति पन्ध निरवाहन धूर्य | श्रुतिवारिधि को पोत समान, इन्द्रादिक तुम सेवक जान ॥ ४ ॥ व्रत सुगन्ध दशमीडहमार, कीन्हं किनि किमि विधि विस्तार | अरुयाको फल कैमो होय, मोकू उपदेशो मुनि सोय ॥ ५ ॥ गौतम बोले सुन भूपाल, पुण्य कथा यह व्रत की माल । भूप प्रश्न तुम उत्तम कस्यो, में भापू जो जिन उच्चयो ॥ ६ ॥ सुनत मात्र व्रत को विस्तार, पाप अनन्त हरै तत्काल | जे कर्ता क्रमतें शिव जाय, और कहा कहिये अधिकाय ॥ ७ ॥ दोहा - जम्बू द्वीप विषै यहां, भरत क्षेत्र सु जान ।
वहां देश काशी लसे, पुर वाराणमी मान ॥ ८ ॥ चौपाई |
पद्मनाभ जाको भूपाल, कीन्हूं वसुमद को परिहार | सप्त व्यसन तजि गुण उपजाय, ऐसे राज करे सुखदाय ॥ ६ ॥