SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 402
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३८६ न पूजा पाठ पढ पं० भूधरकृत स्तुति पुलकन्त नयन चकोर पक्षी, हँसत उर इन्दीवरो । दुर्बुद्धि चकवी विलख बिछुड़ी, निविड़ मिथ्यात हरो ॥ आनन्द अम्बुज उमगि उद्धस्यो, अखिल आलम निरदले । जिन बहुत पूरणचन्द्र निरखत, सकल मनवांछित फले ॥ सम आज आतम भयो पावन, आज विधन विनाशिया । संसार सागर नीर निवढ्यो, अखिल तत्व प्रकाशिया ॥ अब भई कमला किंकरी, मम उभय भत्र निर्मल ठये । दुःख जस्यो दुर्गति वास निवस्यो, आज नव मंगल भये ॥ मन हरण सूरति हेरि प्रभु की, कौन उपला लाइये | म कल तनके रोम हुलसे, हर्ष और न पाइये ॥ कल्याण काल प्रत्यक्ष प्रभुको, लखे जो सुर नर बने । तिह समयकी आनन्द सहिमा, कहत क्यों मुखलों वने ॥ भर नयन निरखे नाथ तुमको, और बांछा ना रही । म सब मनोरथ भये पूरण, रंक मानो निधि लही ॥ अब होऊ भव भव भक्ति तुम्हरी, कृपा ऐसी कीजिये । कर जोर 'भूधरदास ' विनवै, यही वर मोहि दीजिये ||
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy