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जैन पूजा पाठ स
शास्त्र भक्ति
अकेला ही हॅ में करम सब आये सिमटिके | लिया है मै तेरा शरण अब माता सटकि के || भ्रमावत है मोको करम दुःख देता जनमका । करो भक्ती तेरी, हरो दुख माता भ्रमणका ॥ १ ॥ दुखी हुआ भारी, भ्रमत फिरता हूँ जगतमे । सहा जाता नाही, अकल घबराई भ्रमणमे ॥ करो क्या मा मोरी, चलत वश नाही मिटनका । करो भक्ती तेरी, हरो दुख माता भ्रमणका ॥ २ ॥ सुनो नाता नोरी, अरज करता हूँ दरदमे । दुखी जानो मोको, डरप कर आयो शरणमे ॥ कृपा ऐसी कीजे, दरद मिट जावै मरणका । करो भक्ती तेरी, हरो दुख माता भ्रमणका ॥ ३ ॥ पिलावै जो मोको, सुबुधिकर प्याला मृतका । मिटावै जो मेरा, सरब दुःख सारा फिरनका || पडू पावा तेरे, हसे दुख सारा फिकरका । करो भक्ती तेरी, हरो दुःख माता भ्रमणका ॥ ४ ॥