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________________ बेन पूजा पाठ संग्रह ले आये नीर बलभद्र तीर नरपति के । लखि हाल भये बेहाल देख भूपति के || षट् मास फिरे बलभद्र मोहवश भ्रमते । १८९ दिया तुङ्गीगिरि पर दाह बोध चितधर के ॥ कहे गुणीजन के सुन वाणी यह जिनवर की । भई जरदकंवर के हाथ मौत गिरिधर की ॥ १९ ra श्री नेमिनाथजी की विनती सैयो म्हारी नेमीसुर वनडाने गिरनारी जातां राख लीजो ये ॥ टेक ॥ समद विजयजी रा लाडला ये माय, सैयो म्हारी दोनू छे हरघर लार । पिताजी ने जाय कहिजो ये ।। १ ।। नेमीसुर बनडो बण्यो हे माय, सैयो म्हारी खूव वणी छै वरात । झरोखा से भाख लीजो ये ॥ २ ॥ तोरन पर जब आईया ये माय, संयो म्हारी पशुवन सुणी पुकार । पाछो रथ फेरियो ये माय || ३ || ठोड्या कांकण डोरडा ये माय, सैयो म्हारी तोड्या है नवसर हार | दीक्षा उरधार लीनो हे माय ॥ ४ ॥ संजम अन्य मैं धारस्यू ये माय. सैयो म्हारी जास्या गढ गिरिनार | कर्म फन्द काटस्या ये माय ॥ ५ ॥ सेवक की ये विनती ये माय, सैयो म्हारी मागो हे शिवपुर वास । दया चित्त धार लीजो ये माय ॥ ६ ॥
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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