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जेन पूजा पाठ समक्ष
पाश्र्वनाथ स्तोत्र
भुजंगप्रयात छन्द । नरेन्द्र फणीन्द्र सुरेन्द्र अधीसं, शतेन्द्र सु पुजे भज नाय शीशं । मुनीद्र गणेन्द्रनमो जोडि हाथ, नमो देवदेवं मदा पार्श्वनाथं ॥१॥ गजेन्द्र मृगेन्द्र गयो तू छुड़ावै, महा आगतै नागते तू बचावै । महावीरतें युद्ध मैं तू जितावै, महा रोगरौं बंधतें तू छुड़ावै ॥ २ ॥ दुःखी दुःखहर्ता सुखीसुक्खकर्ता, सदासेवकों को महानन्द भर्ता। हरे यक्षराक्षस्य भूतं पिशाचं, विषं डांकिनी विनके भय अवाचं ॥३॥ दरिद्रीन को द्रव्यके दानदी ने, अपुत्रीन को तू भले पुत्र कीने।। महासंकटोंसे निकारै विधाता, सबै सम्पदा सर्वको देहि दाता Tare महाचोरको वज्र का भय निवारै, महापौनके पुञ्ज तू उवारै । महाक्रोधकी अनिको मेघ धारा, महालोम शैलेशको वज्रभारा॥ महामोह अन्धेरको ज्ञान मानं, महाकर्मकांतारको दौं प्रधानं । किये नागनागिन अधोलोक स्वामी, हस्यो मान तू दैत्यको हो अकामी। तुही कल्पवृक्षं तुही कामधेनु, तुही दिव्य चिन्तामणी नाग एनं । पशू नर्क के दुःखतें तू छुड़ावै, महास्वर्गत मुक्ति मैं तू वसावै ॥ करै लोहको हेमपाषाण नामी, रटै नाम सो क्यों न हो मोक्षगामी । कर सेव ताकी करैं देव सेवा, सुनै वैन सोही लहैं ज्ञान मेवा ॥८॥ जपै जाप ताको नहीं पाप लागै, धरै ध्यान ताके सबै दोष भागे। विना तोहि जाने धरे भव घनेरे, तुम्हारी कृपातै सरै काज मेरे ॥६॥ दोहा-गणधर इन्द्र न कर सके, तुम विनती भगवान।
_ 'द्यानत' प्रीति निहारकै, कीजै आप समान ॥