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सोरठा। शेष कर्म निरवान चैत शुकल षष्ठमि विषै । जजो गुणौघ उचार मोक्ष वरांगना पति भये ॥ २६ ॥
ॐ ह्री श्री सम्मेद शिखर सिद्धक्षेत्र परवत सैती धवल कूट के दर्शन फल बयालीस लाख उपवास और श्री सम्भवनाथ तीर्थक्करादि नौ लोडा कोड बहत्तर लाख बयालीस हजार पाच सौ मुनि मुक्ति पधारे, अर्घ० ।। १६ ।। दोहा-अष्टमि सित बैशाख की गए मोक्ष हनि कर्म ।
जज चरण उर भक्ति कर देहु देहु निज धर्म ॥२०॥ ॐ ही श्री सम्मेद शिखर सिद्धक्षेत्र परवत सेती आनन्द कूट के दर्शन फल एक लाख उपवास और अभिनन्दन तीर्थङ्करादि वहत्तर कोडा कोडि सत्तर कोड सत्तर लाख बयालीस हजार सात सै मुनि मुक्ति पधारे, अर्घ० ।। २० ॥
चौपाई छन्द ।। माघ असित चउदश विधि सैन, हनि अघाति पाई शिव दैन । सुर नर वग कैलाश सुथान, पूजै मैं पूजू धर ध्यान ।। दोहा-ऋषभ देव जिन सिध भये, गिर कैलाश से जोय । __ मन वच तन कर पूजहूँ शिखर नमू पद सोय ॥
ॐ ह्री श्री कैलाश सिद्धक्षेत्र परवत सेती माघ सुदी १४ को श्री आदिनाथ तीर्थकरादि असख्य मुनि मुक्ति पधारे, अर्घ०। दोहा-वास पूज्य जिनकी छबी अरुन वरन अविकार ।
देहु सुमति विनती कर ध्याऊं भवदधितार ।। वासु पूज्य जिन सिध भये चम्पापुर से जेह । मनवचतन कर पूज हूँ शिखर सम्मेद यजेह ॥ ।
ॐ ही श्री चम्पापुर सिद्धक्षेत्र परवत सैती भादवा सुदी १४ श्री वासुपूज्य तीर्थङ्करादि असंख्य मुनि मुक्ति पधारे, अर्घ० ।