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________________ जन पूजा पाठ सग्रह १३८ हनि अघाति जिनराय, चौथ कृष्ण फागुन विषै । जजू चरण गुणगाय, मोक्ष सम्मेदाचल थकी ॥ २४ ॥ ॐ ह्री श्री सम्मेद शिखर सिद्धक्षेत्र परवत सेती मोहन कूट के दरशन फल एक कोड उपवास और श्री पद्मप्रभु तोर्घकरादि निन्यानवे कोडि सत्यासी लाख तितालिस हजार सात से सत्ताइस मुनि मुक्ति पचारे, अर्घ० ॥ २४ ॥ हनि अघाति निश्वान, फागुन द्वादशि कृष्ण ही । जजू मोक्ष कल्यान, गए सुरासुर पद जजो ॥ २५ ॥ ॐ ह्री श्री सम्मेद शिखर सिद्धक्षेत्र परवत सेती निर्जर नामा कूट के दरशन फल एक कोड उपवास पर श्री मुनिसुव्रतनाथ तीर्थंकरादि निन्यानवे कौडा कोड सत्यानवे कोडि नौ लाख नौ सौ निन्यानवे मुनि मुक्ति पधारे, अर्धं० ॥ २५ ॥ शेषकर्म हनि मोक्ष, फागुन शुकल जु सप्तमी । जजू गुणनि के धोक, गये सम्मेदाचल थकी ॥ २६ ॥ ॐ ह्री श्री सम्मेद शिखर सिद्धक्षेत्र परवत सेती ललित कूट के दरशन फल सोलह लाख उपवास और श्री चन्द्रप्रभु तीर्थंकरादि नौ सौ चौरासी प्ररव बहत्तर कोडि अस्सी लाख चौरासी हजार पाच सो पचानवे मुनि मुक्ति पधारे, अर्घ० ॥ २६ ॥ गये मोक्ष भगवान, अष्टमि सित असौज की । देहु देहु शिवथान, वसुविधि पदपङ्कज जजू ॥ २७ ॥ ॐ ह्री श्री सम्मेद शिखर सिद्धक्षेत्र परवत सेतो विद्युतवर कूट के दरशन फल एक कोड उपवास और श्री शीतलनाथ तीर्थकरादि अठारह कोडा कोडि बयालिस कोड बत्तीस लाख बेयालिस हजार नौ सौ पांच मुनि मुक्ति पधारे, अर्घ० ॥ १७ ॥ दोहा - चैत कृष्ण पूनम दिवस, निज आतम को चीन । मुक्ति स्थानक जायके, हुए अष्ट गुण लीन ॥१८॥ ॐ ह्री श्री सम्मेद शिखर सिद्धक्षेत्र परवत सेती स्वयंभू कूट के दरशन फल एक कोड उपवास और श्री अनन्तनाथ तीर्थंकरादि छानवे कोडा कोड सत्तर कोड सत्तर ताख सत्तर हजार सात से मुनि मुक्ति पधारे, अर्घ० ॥ १८ ॥
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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