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________________ पनजन्यानन्द चाल । शुभप्राणन स्वर्ग विहाये. वामा माता उर आये । वैशाखतनी दुतिकारी, हम पूजें विघ्न निवारी ॥ अर्पन | जनमें त्रिभुवन सुखदाता, एकादशी पाप विख्याता । श्यामा तन अदभुत राजे, रवि-कोटिक-तेज सुलाजे ॥ ★ श्री र कलि पॉप इकादशी आई, तब घारह भावना भाई । अपने कर लॉच सुकीना, हम पूजें चरण जजीना ॥ होपपादनाय मिने अपे O कलि चैत चतुर्थी आई. प्रभु केवलज्ञान उपाई । तव प्रभु उपदेश जु कीना, भवि जीवनको सुख दीना ॥ दीपदान अर्प● of सित सात सावन आई, शिवनारि वरी जिनराई । सम्मेदाचल हरि माना, हम पूर्जे मोक्ष कल्याणा | ॐ ही ममता श्रीपादयनेिन्द्राय अर्थ- । जयमाला, छन्द । पारसनाथ जिनेन्द्र तने वन, पीनभयो जग्तें सुन पाये । । कग्यो सरधान लष पद आन भयो पद्मावति शेष कहाये | नाम प्रताप से सन्ताप सु भव्यन को शिव-शर्म दिसाये ।
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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