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________________ 1 टैन पूजा पाठ मह फेन चन्दके समान अक्षतं मंगाय के । चरण के समीप सार पूज को स्वायके || पार्श्व० ॥३॥ १२२ ॐ ह्रीं श्रीपादवनाथ विनेन्द्राय अक्षयपाप्तये अनान निर्वपामीति स्वाहा ॥ ३ ॥ केवड़ा गुलाव और केतकी चुनाइये । धार चर्णके समीप काम को नसाइये || पार्श्व० ॥४॥ ॐ ह्रीं श्रीपादवनाथ विनेन्द्राय कानवाणविव्यसनाय पुष्प निर्वपानी स्वाहा ॥ ४ ॥ घेवरादि बावरादि मिष्ट सर्पिमें सने । आप चर्ण अर्च ते क्षुधादि रोग को हने || पार्श्व ० ॥५॥ ॐ ह्रीं श्रीपादर्श्वनाथ जिनेन्द्राय सुधारोगविनाशनाय नैवेद्य निर्वरजीत न्वाद्रा ॥ ९ ॥ लाय रत्न-दीप को सनेह-पूर के भरू | वातिका कपूर वार मोह ध्वांतकूं हरु || पार्श्व० ||६| ॐ ह्रीं श्रीपादनाय जिनेन्द्राय मोहान्वका विनाशनाय दीप निर्वणमनि स्वाहा ॥ ६ ॥ धूप गन्ध लेयकें सु अग्निसंग जारिये । तास धूप के सुसंग अष्टकर्स बारिये || पार्श्व० ॥७॥ ॐ ह्रीं श्रीपादवनाय जिनेन्द्राय अष्टकर्मदहनाय धूप निर्वपामीति स्वाहा ॥ ७ ॥ खारकादि चिरभटादि रत्न- थाल में भरूँ । हर्ष धारिकें जजूं सुमोक्ष सौरव्य को दरूँ || पार्श्व ॥ ॐ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथ जिनेन्द्राय मोक्ष फलप्राप्तये फल निर्वपामीति स्वाहा ॥ ८ ॥ नीरगन्ध अक्षतान पुष्प चारु लीजिये । दीप धूप श्रीफलादि अर्धतें जजीजिये || पार्श्व० ॥६॥ ॐ श्रीपार्श्वनाथ विनेन्द्राय अनपद प्राप्ताये अर्च निर्वपामीति स्वाहा ॥ ९ ॥
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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