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पूजा पाठ मुद्द
चौपाई १६ नात्रा
नमीं ऋषभ कैलाशपहारं नेमिनार गिरनार निहारं । वासुपूज्य चम्पापुर चन्दी सम्मति गणपुर अभिनन्दी ॥१॥ चन्द्र अजित अजित-पद-दावा. व म्भ-दुःखाता । चन्द्र अभिनन्दन गण-नायक, वन्दी नुमति सुमतिके दायक ॥२॥ चन्दौं ण्डम मुकति-पदमा बन्दी लगना-पानाहरू ! चन्दौ चन्द्रप्रभु प्रभुचन्दा, बन्दी विधि विधि-निधि-कन्दा ||३|| वन्द शील अ-तप- शीतल, चन्द्रवायन महीतल । चन्दौं त्रिमल विमल उपयोगी, बन्द अनंत अनंत-सुखभोगी ||१|| वन्दाँ धर्म धर्म-विस्तारा, वन्दों शान्ति शान्ति-मन-धारा । चन्द कुंधु कुघु-रवालं इन्टीअर अरि-हर गुणमालं ||१५|| वन्द मल का चूरन न्त्री त्रिव पूरन । वन्दौं नमि-जिन तमित-लुरासुर वढदों पार्क पर्व्व सजग-हर ||६|| बीसों सिद्धभूमि जा ऊपर. शिखरसम्मेद - महागिरि भूपर | एकबार दंदें जो कोई, ताहि नरक-पशु-पति नहिं होई ॥७॥ नरपतिनृप सुर शक कहावे. तिहुँ जग भोग भोग शिव पार्ने । दिघन-विनाशन मंगलकारी, गुण- विलास यों पचा - जो तीरथ जावें पाप मिटावे, ध्यावें गा
ताको जस कहिये संपति लहिये, गिरिके गुण को दूध उतरें ।
भवतारी ॥८॥ भगति करें
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ॐ ह्रीं श्रीचनुर्विगतितका निर्वाणक्षेत्रेभ्यो पूर्ण निर्वपामीति स्वाहा ।