SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 117
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ন বাঃ সুম १.१' - श्री जादिनाजिन पूजा नाभिराय मरुदेविके नन्दन, आदिनाथ स्वामी महाराज। सर्वार्थसिद्धिते आप पधारे, मध्यलोकमांही जिनराज ॥ इन्द्रदेव सब मिलकर आये, जन्म महोत्सव करने काज । आह्वानन सब विधि मिल करके, अपने कर पूजे प्रसुआज।। मानाय ग्नेिन्ट आवतर मयत्तर मापट बालानन । ॐ भीमादिनाय जिनेन्द्र ! अन तिष्ठ तिष्ठ ठ स्थापन ।। धादिनाय निन्द्रलम मम गन्निहि नो मा भनट सनकरणम् । अप्टक । क्षीरोदधिका उज्ज्वल जल ले, श्रीजिनवरपद पूजन जाय। जन्म-जरा दुःख सेटन कारन, ल्याय चढ़ाऊं प्रसुके पाय !! श्रीआदिनाथके चरण-कमलपर,वलि-पलिजाउँमनवचकाय! हो करुणानिधि भव दुःस्व मेटो. याते में पूजों प्रख पाय॥ धीमादिनाध निन्द्राय जन्ममृत्युविनागनाय जल पिपामोति मा || १ ॥ मलयागिरि चंदन दाह निकंदन, कञ्चन झारीलर ल्याय ! श्रीजीकेचरणचढ़ावोभविजनभवआतापतुरतमिटिजायानी ही योजादिना निन्द्राय गगनापविनाशनाय चन्दन नि पामी नि घाटा ॥ २ ॥ शुभशालिअखंडित सौरभिमंडित,प्रासुक जलसोधोकर ल्याय। श्रीजीकेचरण चढावोभविजन अक्षयपदको तुरत उपाय॥श्री
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy