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इक्कीसवाँ सर्ग
अाक्रमण पड़ोसी भूपों पर करना तज दिया नरेशों ने। जो शत्रु रहे थे, उन्हें मित्रसा बना दिया उपदेशों ने ॥
जो थे स्वभावतः क्रुद्ध जन्तु अब त्याज्य उन्हें भी क्रोध लगा। कहने का यह सारांश देव-- नर-पशु सबमें सद्बोध जगा ॥
यो निन शासन छिन जाने से हिंसा अत्यन्त निराश हुई।
औ' विश्व प्रेम की विजय देख हो घृणा परास्त हताश हुई ।
विकसा जन-जन में साम्यवाद,
औ' भेद भाव का ह्रास हुवा । सबको शूद्रों से प्रेम भाव— रखने का भी अभ्यास हुवा ॥
अब नहीं वेद-ध्वनि सुनने पर, लगती थी उन पर रोक कहीं। औ' उन्हें शिवालय जाने से सकता था कोई टोक नहीं ।