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क्यों पता लगाते नहीं ? उन्होंने लिया श्रभिग्रह कैसा है ?
क्यों नाथ ! हमारे हो रहा प्राज कल
शासन में,
ऐसा है ?
यदि यहाँ पारणा हुई न तो यह राज्य वृथा यह कोष वृथा । 'श्री' नहीं श्राज भर हमें सदा, जनता देवेगी दोष
वृथा ॥
हमको
अतएव अभिग्रह का अब सत्वर पता लगाना है । फिर तदनुसार ही शीघ्र हमें, साधन सम्पूर्ण
जुटाना है ||
परम ज्योति महावीर
इससे जैसे भी बने आप यह पता तुरन्त लगायें अब । जिससे कि हमारी नगरी से उपवासे सन्त न जायें अब ॥ "
-रानी ने राजा को सूचित - यों निज हार्दिक उद्गार किये । सुन जिन्हें भूप ने कहा कि अब होगा अवश्य श्राहार प्रिये ॥