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________________ लिया है। काव्य की रूप-रेखा देखने के पश्चात् ही मैं सन्देश के रूप में विशेष कुछ कह सकँगा। वैसे मेरा आशीर्वाद तथा शुभ सन्देश इत प्रकाशन के लिये है ही। अापके इस पुण्य प्रयास के लिये बधाई । पँचमढ़ी मिश्रीलाल गंगवाल ७-६-६० श्री दशरथ जी जैन(उपमन्त्री लोक निर्माण एवं विद्युत मध्यप्रदेश) ___ श्रापका महाकाव्य “परम ज्योति महावीर" प्रकाशित होने जा रहा है यह जानकर प्रसन्नता हुई। यह महाकाव्य भगवान महावीर के विषय ' में जन साधारण को न केवल पर्याप्त जानकारी ही देगा प्रत्युत उसको पढ़कर लोगों के जीवन में एक महान क्रान्ति श्रावेगी वे सत्य और अहिंसा के अपने आपको अधिक निकट पावेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है । भोपाल दशरथ जैन २०-५-१६६० श्री साहू शान्ति प्रसाद जी जैन कलकत्ता(सुप्रसिद्ध उद्योगपति) भगवान महावीर के सम्बन्ध में आपने चिन्तन किया है और उनका गुणानुवाद गाया है यह अपने आपमें भव्य प्रयत्न है। कलकत्ता __शान्तिप्रसाद जैन २६-५-६० श्री कैप्टेन सर सेठ भागचंद जी सोनी (अध्यक्ष भा० दि० जैन महासभा) श्री धन्यकुमार जी जैन 'सुधेश' ने हाल ही में "परम ज्योति महावीर" नामका भगवान महावीर के ऊपर एक सुन्दर काव्य लिखा है जो कि शीघ्र ही छपने जा रहा है।
SR No.010136
Book TitleParam Jyoti Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanyakumar Jain
PublisherFulchand Zaverchand Godha Jain Granthmala Indore
Publication Year1961
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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