________________
मुझे यह जानकर प्रसन्नता है कि आप "परम ज्योति महावीर" नामक पुस्तक प्रकाश में ला रहे हैं। मैं आपके सत्प्रयत्न की सफलता चाहता हुँ। नई दिल्ली
सर राधाकृष्णन ४-६-४०
श्री अजित प्रसाद जी जैन(भूतपूर्व खाद्य मत्री भारत)
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि तीर्थंकर महावीर की जीवनी पर आपने “परम ज्योति महावीर" नामक एक महाकाव्य की रचना की है। भगवान महावीर के अहिसा के महान उद्देश्य को लोग कुछ भूले जा रहे थे। महात्मा गाँधी ने पुनः उसे जीवित किया और उसी के साथ जनसाधारण के मन में भगवान महावीर के प्रति और भी श्रद्धा बढ़ी। कविता की रचना करके आपने देश की बड़ी सेवा की है और इसके लिए मेर धन्यवाद स्वीकार कीजिये । नई दिल्ली
अजितप्रसाद जैन १६-७-६०
श्री राष्ट्रकवि मैथिलीशरण जी गुप्त (सदस्य राज्य सभा)
भगवान महावीर पर अापने काव्य रचना की है, यह जानकर बड़ा हर्ष हुआ, आशा है उसका प्रकाशन फल प्रद होगा ।
मेरी शुभकामना स्वीकार कीजिये । ८-६-६०
मैथिलीशरण श्री मिश्री लाल जी गंगवाल (वित्त मंत्री मध्यप्रदेश)
यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपने तीर्थकर महावीर पर “परम ज्योति महावीर" महाकाव्य दो हजार पाँच सौ उन्नीस छन्दों में पूर्ण कर