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भी 'सुधेश' जी की कविताएँ जैन पत्रों में समय-समय पर प्रकाशित होती रहती हैं। उनकी प्रतिभा से उनकी कविता को पढ़ने वाले प्रभावित हुये बिना नहीं रहते । ये जैन समाज के उदीयमान कवि हैं ।
मैं उनके इस सुन्दर प्रयास की सराहना करता हूँ और श्राशा करता हूँ कि उनकी यह रचना सभी के हृदयों में भगवान महावीर के प्रति श्रद्धा एवं भक्ति का संचार करेगी ।
अजमेर
१६-६-६०
भागचन्द
श्री यशपाल जी जैन (सम्पादक 'जीवन साहित्य' )
मैं "परम ज्योति” महाकाव्य का हृदय से अभिनन्दन करता हूँ । मुझे विश्वास है कि पाठकों को उसके द्वारा स्वस्थ एवं उपयोगी सामग्री प्राप्त होगी । वस्तुतः ऐसी कृतियों की श्राज बड़ी आवश्यकता है जो चरित्र-निर्माण की प्रेरणा दे सकें। आपका महाकाव्य इस उद्देश्य की पूर्ति करेगा ।
नई दिल्ली
यशपाल जैन
१६-६-६०
श्री कामता प्रसाद जी जैन ( संचालक अखिल विश्व जैन मिशन ) यह जाकर परम हर्ष है कि भाई सुधेश जी का महा काव्य प्रकाशित हो रहा है । सुधेश जी की कवि रूप में ख्याति उनकी जन्म जात काव्य प्रतिभा का प्रमाण मात्र है। तीर्थकर सदृश महापुरुष के विशाल जीवन को शब्दों में उतार लाना मनीषियों का ही काम है । उनका काव्य संसार के कोने-कोने में ज्ञान ज्योति का दिव्य प्रकाश फैलाये यही कामना है ।
अलीगंज (उ० प्र०)
१-८-६०
कामता प्रसाद