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ear सर्म
बोली कोई -- 'क्या तत्वों पर हो सकता कोई सन्देह नहीं ?”
सुन पड़ा - 'जिनेश - विवेचन में, शंका रच सकती गेह नहीं ।"
फिर कहा किसी ने - 'क्यों सच हीहोती है उनकी बात सभी ?" उत्तर था - ' केवल ज्ञान करा -- देता उनको विज्ञात
सभी '
फिर प्रश्न हुवा - क्या क्रम क्रम सेयह ज्ञान कराता बोध उन्हें ?” सुन पड़ा - 'ज्ञान हो जाता है, सब एक साथ अविरोध उन्हें ।'
शंका उठ पड़ी--' विवेचन में-होती न कहीं क्या भूल कभी ?" उत्तर श्राया--'ध्वनि खिरती है, सत्यार्थ - धर्म --- अनुकूल सभी ॥ "
फिर प्रश्न उठा -- 'क्या जिनवर को
होती न किसी से
ममता है ?"
वीतराग-
था समाधान - - ' उन
को रहती सबमें समता है ?'
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