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परम ज्योति महावीर
कह उठी एक-'क्या नारी केहोते नर जैसे हाथ नहीं? स्वर आया-होते' पर नर साबल होता मन के साथ नहीं ।'
सुन कहा किसी ने-'यो ही क्या--- हम बनी रहेगी हीन सभी ? रानी बोली--'मिल जायेगी, नर की पर्याय नवीन कभी।।'
बोली कोई-'पर्याय न क्यों मिलती मन के अनुकूल हमें ?' उत्तर था-'नहीं बबूलों सेमिल सकते चम्पक फूल हमें ।।
फिर पँछ उठी कोई--'कैसे --- हो तत्वों की पहिचान अभी ?' यह ज्ञात हुवा-'सहकारी है जिन तत्वों पर श्रद्धान अभी!'
यह प्रश्न उठा-क्या श्रद्धा भर--- से हो सकता उत्थान स्वयं उत्तर अाया-'त्रय रत्नों में--- है प्रमुख तत्व-श्रद्धान स्वयं।'