________________
मदरास व मैसूर शान्त । (१३) सी नं० ९९ - गणगित्ती जैन मंदिरका
M
(५) चित्रम्बलम् - अडोनीसे उत्तर ३ मील एक ग्राम । यहां नरसिंहस्वामी मंदिर के पास दो ध्वंश जैन मंदिर हैं जिनके शिखर पाषाणके हैं।
[ ४५
(६) पेह तम्बलम् - अडोनीसे १२ मील उत्तर में | सड़क से बाव मील, व ग्रामसे आधा मील जाकर ध्वंस मंदिरोंका समूह है। जो खुदे हुए पाषाण ग्रामके आसपास पड़े हैं, उनमें कई जैन तीर्थङ्करोंकी पद्मासन मूर्तियां हैं । तथा एक लम्बा ध्वजास्तंभ है । इसके उत्तर तीन मंदिर हैं वे मूलमें जैन मंदिर थे, अब वे नागमंदिर हैं | यहां सन् १०७६, ११२६, ११४९ व ११८३ के शिलालेख हैं । एक बड़ा टीला खोदनेके लायक है ।
A
..
(७) चिप्पगिरि - ता० अलूर से दक्षिण पूर्व १३ मील | यह गुंटकलकी सड़कपर है । ग्रामके उत्तर एक नीची किलेदार पहाड़ी है जिसमें दक्षिण इतिहाससे पूर्वकी वस्तीके चिह्न हैं । प्राचीनकाल में यहां जैनियोंकी बहुत वस्ती थी । मेकन्जी लिखित शास्त्रों से (Sco Yaylor's catalogue of oriental manuscripts III p. 550 ) प्रगट है कि कलचुरी वंशके जैन राजा बज्जाल (सन् ई० १११६-११६७) ने किला बनवाया था और अपनी जैन प्रजाके साथ रहता था । पर्वत पर एक जैन मंदिर है जिसको बसती कहते हैं । यह मंदिर शिषरबंद है। मंदिर के भीतर बहुतमी जैन तीर्थंकरोंकी नग्न मूर्तियां बैटे तथा खड़े आसन हैं । इस मंदिर के द्वारके उत्तर एक बड़ी चट्टान के नीचे तीन पापाण हैं जिनमें बड़ीर जैन तीर्थंकरोंकी मूर्तियां हैं । ग्राममें जो भोगेश्वर
1