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प्राचीन जैन स्मारक। और चेन्न केशवस्वामीके मंदिर हैं उनके भीतरी मंदिरके भाग प्रगटपने मूलमें जैन मंदिर थे, इनको पीछे हिंदू ढंगमें बदल लिया गया। इनमें से एक पर्वतके जैन मंदिरसे मिलता जुलता है। इसमें कुरुगोडुके समान आश्चर्यकारी रचना है। इन दोनों मंदिरोंके चारों मध्यके स्तम्भ जैन ढंगके हैं।
मदरास एपिग्राफीमें सी नं० २३ में इस चिप्पगिरि पर्वतके जैन मंदिरका नकशा है ।
(८) हीरिहालु-ता. वेल्लारीसे दक्षिण पश्चिम १२ मील। यहां बोगार जैनी पीतलके वर्तन बनाते हैं ।
(९) कुडातिनी-वेल्लारीसे पश्चिम उत्तर १२ मील कुड़ातिनी रेलवे स्टेशनसे १ मील । यह प्राचीनकालमें जैनियोंका मुख्य स्थान रहा है । इसका प्रमाण यह है कि किलेके उत्तर द्वारकी तरफ जो मसनिद है तथा कुमारस्वामी मंदिरके पश्चिम द्वारके पास जो लिंगायतोंका मंदिर है उनमें ये चिह्न प्रगट हैं कि ये मूलमें जैन मंदिर थे । किलेके पश्चिमीय द्वारपर जो नग्न मस्तक रहित मूर्ति है वह भी जैनकी है। यहां दो राष्ट्रकूट शिलालेख सन् ९४८-४९ तथा ९७१-७२के मिले हैं।
यहां इतिहासके पूर्वका एक टीला है, इसमें प्राचीन मूर्तियां हैं।
(१०) कुरुगोडु-ता० वेल्लारी । कुरुगोड पर्वतोंके पूर्वीय 'किनारेपर एक ग्राम । यह प्राचीन ऐतिहासिक स्थान है। शिलालेखसे प्रगट है कि यह ग्राम बादामीके चालुक्योंका था । ग्रामके पश्चिम पुराने ग्रामका स्थान है जहांपर अब खुला मैदान है । इन खेतोंमें बहुत ही प्रसिद्ध प्राचीन स्मारक हैं अर्थात् जैन मंदिरोंका ऐसा