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१६६] प्राचीन जैन स्मारक । उत्तर पश्चिम तटपर बहुत प्राचीन नगर था। दूसरीसे पांचवीं शताब्दी तक यह कादम्ब राजाओंकी राज्यधानी रहा है । टोलिमी इतिहासकारने इसको लिखा है । ३री शताब्दी पूर्व यहां अशोकने अपने एलची भेजे थे। ..(३) गंगवाडी-९६०००-गंगराजाओंका देश जिन्होंने दूसरी शताब्दीसे ११ वीं शताब्दी तक राज्य किया। इसकी चौहद्दी यह है-उत्तरमें मोरनदले, पूर्वमें टोडनाद (मदरास देश मैसुरके पूर्व), पश्चिममें चेरा (कोचीन) की तरफका समुद्र, दक्षिणमें कोंगृ (सलेम व कोयम्बटोर जिला)। यहांके निवासियोंको गंगदिकार कहते हैं।
(४) पुन्नाट-६००० मसूरके दक्षिण पश्चिम बहुत प्राचीन भाग-राज्यधानी किथिपुर जिसको अब कित्तर या कव्वामी कहते हैं । यह पांचवीं शताब्दीमें गंग राज्यमें गर्भित होगया। यहां श्रीभद्रबाहु श्रुतकेवलीने अपने संघको सन् ई० से चौथी शताब्दी पूर्व भेजा था । टोलमी इतिहासकारने इसे पौन्नटदेश लिखा है--
मैसूर राज्यके जिलोंमें जैन पुरातत्त्व । (१) बंगलोर जिला।।
यहां एपिग्राफी करनाटिका नं० ९के अनुसार नीचे लिखे शिलालेख पाए गए हैं।
तालुका बंगलोर-(१) नं० ८२ सन् १४२६ ग्राम वेगरमें श्रवण धनदिन्नेकी ध्वंस जैन वस्तीमें एक पाषाण पर जो लेख है उसका भाव यह है कि मूलसंघ, कुन्दकुन्द ० देशीयगणमें शुभचन्द्र सिद्धांतदेवके शिष्य चक्कामय्याके पुत्र नागिय