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________________ जैनाचार्यो का जलकारशास्त्र में मोगदान क्योंकि इसमे अलंकार सम्बन्धी विचार संस्कृत की ही परम्परा के अनुसार किया गया है और ये विषुव सत्री संस्कृत जैन-बालंकारिकों के पूर्वभाषी हैं। प्रथम शती के आरक्षित और एकादश शती के अलकारवाणकार के मनन्तर हम वाग्भट-प्रथम से शुरू होने वाले जैन बालंकारिकों की परम्परा प्रवेश करते हैं। यह परम्परा द्वादश शताब्दी से अविच्छिन्न चलती है। परिचयात्मक विवरण प्रारम्भ करने के पूर्व यह उल्लेखनीय है कि धर्म की दृष्टि में सम्प्रदाय-भेद के होते हुए भी ये सभी आचार्य अलंकार सम्प्रदाय के अधिकारी प्रवक्ता हैं और सबने अलंकार-शास्त्र के सभी प्रतिपाद्य तत्वों पर गम्भीर तथा सूक्ष्म विवेचन प्रस्तुत करते हुये संस्कृत अलंकार-साहित्य को परिपुष्ट किया है। आर्यरक्षित आर्यरक्षित की गणना एक विशिष्ट युग प्रधान आचार्य के रूप में की जाती है। इनका जन्म वीर-निर्वाण सम्वत् ५२२ मे, दीक्षा ( २२ वर्ष की आयु में) वीर-निर्वाण सम्वत् ५४४ (ई० सम् १७ ) में, युगप्रधान पद (६२ वर्ष की आयु में ) वीर-निर्वाण सम्वत् ५८४ (ई० सन् ५७ ) मे तथा स्वर्गवास ( ७५ वर्ष की भायु में ) वीर निर्वाण सम्वत् १६७ ( ई० सन् ७० ) में माना जाता है। कुछ आचार्यों के मतानुसार आर्यरक्षित का स्वर्गवास वीर-निर्वाण सम्बत् ५८४ (ई० सन् ५७ ) मे हुमा था।' इनके पिता का नाम सोमदेव था, जो मासवान्तर्गत् दशपुर (मन्दसौर) के राजा उदयन के पुरोहित थे तथा माता का नाम रासोमा था। आर्यरक्षित अल्पायु मे ही वेद-वेदानो का अध्ययन करने के लिये पाटलिपुत्र चले गये थे। अध्ययन करने के पश्चात् जब वे घर लौटे तब दशपुर के राजा बीर नगरवासियो ने प्रसन्न होकर बडी धूमधाम से उन्हे नगर प्रवेश कराया। तत्पश्चात् दिन के अन्तिम प्रहर में घर पहुँचकर उन्होंने अपनी माता को प्रथाम किया। माता रुद्रसोमा जैन धर्म की उपासिका पी, अत' वेद-वेदागी के अध्ययन से वह अधिक प्रसन्न नहीं हुई। कारण ज्ञात कर आर्यरक्षित दूसरे दिन प्रात काल ही अनाचार्य तोसलीपुत्र के पास अध्ययन करने के लिए गये। बहाँ यह जानकर कि दृष्टिबाद का ज्ञान प्राप्त करने के लिए जैन-दीक्षा अनिवार्य है, अत: १. जैनधर्म का मौनिक इतिहास, भाग २, पृ. ५६० ।
SR No.010127
Book TitleJainacharyo ka Alankar Shastro me Yogadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamleshkumar Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year
Total Pages59
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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