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(अहमदाबाद), प्रो० खुशालचन्द्र गोरावाला (काशी विद्यापीठ), सम्पूर्णानन्द सस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के भूतपूर्व जैनदर्शन विभागाध्यक्ष ५० अमृतलाल शास्त्री (जैनदशन-प्राध्यापक, जैन विश्व भारती, लाडनूं), ५० उदयचन्द्र जैन पूर्वरीडर एवं दर्शन विभागाध्यक्ष, सस्कृतविद्याधर्मविज्ञानसकाय, का० हि० वि० वि०), डॉ० राजाराम जैन (रीडर एव अध्यक्ष, सस्कृत-प्राकृत विभाग, एच. डो० जैन कालेज, मारा) एव स्व० अगरचन्द नाहटा (बीकानेर) प्रभूति विद्वानों का भी हृदय से प्रभारी हूँ, जिनके स्नेह एवं शुभाशीर्वाद से यह कार्य पूर्ण हो सका । इस कार्य को पूर्ण करने में जिन मित्रो का सहयोग मिला है, उनमें डॉ. जयकुमार जैन (सस्कृत-प्रवक्ता, एस० डी० पोस्ट ग्रेजुएट कालेज, मुजफ्फरनगर) डॉ० कु. मजुला मेहता (पूना) एष श्री अनुभवदास के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। __ पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी द्वारा शोधवृत्ति, आधुनिक सुविधा सम्पन्न छात्रावास एवं पुस्तकालय सम्बन्धी सुविधाएँ प्राप्त हुई हैं, इसके लिये विद्याश्रम के संचालको का हृदय से कृतम है। केन्द्रीय एव विभागीय पुस्तकालय का० हि० वि०वि०, श्री गणेश वर्णी दि० जैन शोध संस्थान पुस्तकालय एव श्री विश्वनाथ पुस्तकालय (गोयनका सस्कृत महाविद्यालय, वाराणसी) के अधिकारियों का भी आभारी हैं, जिनकी कृपा से अनेक ग्रन्थो के अवलोकन तथा उपयोग करने की सुविधा मिली है।
प्रस्तुत ग्रन्य के प्रकाशन का पूर्ण श्रेय पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोष सस्थान वाराणसी के वतमान निदेशक आदरणीय डॉ. सागरमल जैन को है, अत उनका हृदय से आभारी हूँ । प्रारम्भिक १६० पृष्ठो का प्रफ सशोषन डॉ० रविशंकर मिश्र ने किया है और शब्दानुक्रमणिका तैयार करन मे श्री अरुणकुमार जन (शोध छात्र, सस्कृत विभाग, का. हि० वि० वि०) का सहयोग मिला है, अत उक्त बन्धुद्वय धन्यवाद के पात्र है । ग्रन्थ-मुद्रण का कार्य बद्ध मान मुद्रणालय ने सम्पन्न किया है, अत उनके प्रति भी मै अपना धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ। बी २/२४९ निर्वाण भवन
कमलेशकुमार जैन लेन न० १४, रवीन्द्रपुरी
व्याख्याता, जैन-बौददशन विभाग वाराणसी-२२१००५
सस्कृतविद्याधमविज्ञानसकाय श्रुतपञ्चमी वि० स० २०४१ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी-५