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________________ जैनाचार्यों का अलंकारशास्त्र में योगदान पतिका आदि आठ अबस्थाओ का सोदाहरण वर्णन तथा स्त्रियों के बीस सत्वन अनकारों का सलक्षण-सोदाहरण विवेचन किया गया है । ___ अष्टम अध्याय मे प्रबधकाव्य के दो भेद-दृश्य और श्रव्य, पुन दृश्य के दो भेद-पाठ्य और गेय, तत्पश्चात् पाठ्य के नाटक, प्रकरण, नाटिका, समवकार, ईहामृग, डिम, व्यायोग, उत्सृष्टिकाक, प्रहसन, भाण, वीथी और सट्टक आदि भेदो का लक्षण दिया गया है। इसी शृखला मे गेय के डोम्बिका, भाण, प्रस्थान, शिंगक, भाणिका, प्रेरण, रामाक्रीड, हल्लीसक, रासक, गोष्ठी, श्रीगदित, राग और काव्य का लक्षण दिया गया है। तदनन्तर महाकाव्य, आख्यायिका, कथाआख्यान, निदर्शन प्रबलिका, मतल्लिका, मणिकुल्या, परिकथा, खण्डकथा, सकलकथा, उपकथा, बृहत्कथा तथा धम्पू इन श्रब्य काथ्यो का सलक्षण विवेचन किया गया है । अन्त मे मुक्तक, सन्दानितक, विशेषक, कलापक, कुलक और कोश का सलक्षण विवेचन है । रामचन्द्र-गुणचन्द्र रामचन्द्र और गुणचन्द्र का नाम प्राय साथ-साथ लिया जाता है। इन विद्वानो के माता-पिता और वश इत्यादि के विषय मे कोई उल्लेख नही मिलता है । अत इतना ही कहा जा सकता है कि ये दोनो विद्वान् सतीथर्य के थे । आचार्य रामचन्द्र ने अपने अनेक ग्रन्थो में अपने को आचार्य हेमचन्द्र का शिष्य बतलाया है । ये उनके पट्टधर शिष्य थे । एक बार तत्कालीन गुर्जर नरेश सिद्धराज जयसिंह ने आचार्य हेमचन्द्र से पूछा कि आपके पट्ट के योग्य १ शब्द-प्रमाण-साहित्य छन्दोलक्ष्मविधायिनाम् । श्री हेमचन्द्रपादाना प्रसादाय नमो नम ॥ ___-हिन्दी नाट्य-दर्पण विवृत्ति, अन्तिम प्रशस्ति. पद्य १ । सूत्रधार-दत्त श्रीमदाचार्यहमचन्द्रस्य शिष्येण रामचन्द्रण विरचित नलविलासाभिधानमाद्य रुपकमभिनेतुमादेश । नलविलास, पृ०१। श्रीमदाचार्यश्रीहेमचन्द्रशिष्यस्य प्रबन्धशतक महाकवे. रामचन्द्रस्य भूयास प्रबन्धा । -निर्भयभीम ज्यायोग पृ० १।
SR No.010127
Book TitleJainacharyo ka Alankar Shastro me Yogadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamleshkumar Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year
Total Pages59
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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