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प्र० १६५ - मुमुक्ष जीव को किसकी भावना हुई ?
उत्तर - मुमुक्ष जीव को दुख मिटाकर आत्मा का हित व सुख प्राप्त करने की भावना हुई ।
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प्र० १६६ - मुमुक्ष ने वन मे जाकर मोक्ष का मार्ग किससे पूछा उत्तर- मुमुक्ष ने वन मे जाकर मोक्ष का मार्ग मुनिराज से पूछा । प्र० १६७ - मुनिराज ने मोक्ष का मार्ग क्या बताया ? उत्तर - मुनिराज ने बताया कि
सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्राणि मोक्ष मार्ग ।
सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यग्चारित्र की एकता ही मोक्ष का मार्ग हे |
प्र० १६८ - हम किसकी सतान है
?
उत्तर - हम वीर प्रभु की सतान है ।
प्र० १६६ - वीर प्रभु को सतान कैसे-कैसे उत्तम कार्यो को करने के लिए तैयार है ?
उत्तर- वीर प्रभु की हम सतान, हे तैयार है तैयार | जिन शासन की सेवा करने है तैयार है तैयार । सिद्ध पद का स्वराज लेने, है तैयार है तैयार | अरहत प्रभु की सेवा करने, है तैयार है तैयार । ज्ञानी गुरु की सेवा करने, है तैयार है तैयार । तीर्थ धाम की यात्रा करने, तयार है तैयार | जिन सिद्धान्त का पठन करने, है तैयार है तैयार । जिन शासन को जीवन देने, है तैयार है सम्यग्दर्शन प्राप्त करने, है तैयार है आत्म ज्ञान की ज्योति जगाने, है तैयार है साधु दशा का सेवन करने, है तैयार है तैयार | मोह शस्त्रु को जीत लेने, है तैयार है तैयार ।
तैयार ।
तैयार ।
तैयार ।