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________________ ( २४६ ) सातवाँ अधिकार वीतराग-विज्ञान प्रश्नोत्तरी प्र० १-शुद्ध श्रावक धर्म प्रकाश मे पृष्ठ ३५८ में क्या बताया उत्तर-भरये पचम काले, जिन मुद्राधार ग्रन्थ सव्वस्से, साडे सात करोड जाइये, निगोय मज्जिभि ।। {१०८ विवेक सागर महाराज कृत शुद्ध श्रावक धर्म प्रकाश श्री दिगम्बर जैन समाज मारोठ (राजस्थान) से प्रकाशित] प्र० २-क्या तीर्थकरों के आठ वर्ष की अवस्था में पंचम गुणस्थान आ जाता है ? यह कहाँ लिखा है ? उत्तर-(१) पार्श्वनाथ भगवान की पूजा मे आया है । (२) उत्तर पुराण आचार्य गुणभद्र कृत प्रकागक भारतीय ज्ञान पीठ बनारस मे-- स्वापराधष्ठ वर्णभ्यः, सर्वेषा परतो भवेत । उदिताष्ट कपायाणां तीर्थणो देश सयम' ॥ ३५ ॥ अर्थ -"जिन के प्रत्याख्यान और मज्वलन सम्बन्धी क्रोध-मान-मायालोभ इन आठ कषायो का ही केवल उदय रह जाता है, ऐसे सभी तीर्थकरी के अपनी आयु के प्रारम्भिक आठ वर्ष के बाद देश सयम हो जाता है। (अपनी आयु के आठ वर्ष हो जाने के बाद जिनको अनन्तानुबन्धी चार और अप्रत्याख्यानावरण चार के शमित हो जाने के कारण सभी तीर्थकरो को देश सयम की प्राप्ति हो जाती है) तथा ३६ वे श्लोक मे बताया है कि 'यद्यपि उनके भोगोपभोग की प्रचुरता थी तो भी वे अपनी आत्मा को अपने वस मे रखते थे। उनकी वृत्ति नियमित थी तथा असंख्यात गुणी निर्जरा का कारण थी। प. ३-~-जैसे समयसार मे गाथा ४६ है; उसी प्रकार यह गाथा
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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