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( २४४ ) निर्गतित्व, (२) निरिन्द्रियत्व, (३) निष्कायत्व, (४) निर्योगत्व, (५) निर्वेदत्व, (६) निष्कपायत्व, (७) निर्नामत्व, (८) निर्गोत्रत्व, (8) निरायुत्व इत्यादि अनन्त विशेष गुण तथा अस्तित्व, वस्तुत्व, द्रव्यत्व, प्रमेयत्वादि अनन्त सामान्य गुण-इस प्रकार आगम से अविरोध से जानना चाहिये।
प्र० ४०५-सिद्धो के आठ गुणों मे से केवलज्ञान और केवलदर्शन का स्वरूप क्या है ?
उत्तर-(१) केवलज्ञान=त्रिकाल-तीन लोकवर्ती समस्त वस्तु गत अनन्त धर्मो को युगपत् विशेष रुप से प्रकाशित करे। (२) केवल दर्शन-उन सबको युगपत् सामान्य रुप से प्रकाशित करे।
प्र० ४०६-सिद्धो के आठ गुणो मे से अनन्तवीर्य और क्षायिक सम्यक्त्व का स्वरुप क्या है ?
उत्तर-(३) अनन्त वीर्य-अनन्त पदार्थो को जानने मे खेद के अभाव रुप दशा (४) क्षायिक समयक्त्व-समस्त जीवादि तत्वो के विषय मे विपरीत अभिनिवेश रहित परिणति का होना।
प्र० ४०७ सिद्धो के आठ-आठ गुणो मे से सूक्ष्मत्व और अवगाहनत्व का स्वरूप क्या है ?
उत्तर-(५) सूक्ष्मत्व-सूक्ष्म अतीन्द्रिय केवलज्ञान का विषय होने से सिद्धो के स्वरुप को सूक्ष्म बताता है । (६) अवगाहनत्व-जहा एक सिद्ध हो वहा अनन्त समाविष्ट होते है ।
प्र० ४०८-सिद्धो के आठ गुणों मे से अगुरलघुत्व और अव्यावाधत्व का स्वरूप क्या है ?
उत्तर-(७) अगुरुलघुत्व जीवो मे छोटे बड़े पने का अभाव । (८) अव्यावाधत्व किसी से बाधा को प्राप्त ना होना।
प्र० ४०६-और सिद्ध कैसे है ? उत्तर-तेरहवे गुणस्थान के अन्त भाग मे नासिकादि छिद्र पुरे