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________________ ( २४३ ) प्र० ३६८ -- उर्ध्वगमन अधिकार में क्या बताया है ? उत्तर -- (१) लोक के अग्रभाग में स्थित है । (२) नित्य है | (३) उत्पाद व्यय से सयुक्त है - यह उर्ध्वगमन अधिकार मे बताया है । प्र० ३६६ - सिद्धो के आठ गुण कौन-कौन से है ? उत्तर–(१) सम्यक्त्व, (२) ज्ञान, (३) दर्शन, (४) वीर्य, (५) सूक्ष्मत्व, (६) अवगाहन, (७) अगुरुलघु, (८) अय्यावाध - इन सर्व गुणों की परिपूर्णद्ध पर्याये सिद्ध होती है । प्र० ४०० - क्या सिद्धो मे आठ ही गुण होते हैं ? उत्तर-- व्यवहार से अष्ट गुण और निश्चय से अनन्त गुण सिद्ध भगवन्तों के होते है | प्र० ४०१ - जब सिद्धो मे अन्नत गुण प्रगट हो गये है, तो आठ गुणो का ही वर्णन क्यो किया है ? उत्तर - मध्यम रुचि वाले शिष्यो की अपेक्षा से व्यवहारनय से आठ गुणो का ही वर्णन किया है। प्र० ४०२ - क्या शिष्य कई रुचि वाले होते है ? उत्तर - ( १ ) सक्षेप रुचि वाले शिष्य । (२) विस्तार रुचि वाले शिष्य । ( ३ ) मध्यम रुचि वाले शिष्य - इस प्रकार तीन रुचि वाले शिष्य होते है । प्र० ४०३ - सक्षेप रुचि वाले शिष्यों के प्रति सिद्धो के लिये सक्षेप मे क्या बताया जाता है ? उ०- ( १ ) अभेदनय से सिद्ध भगवान अनन्त ज्ञानादि चार सहित । (२) अनन्त ज्ञान दर्शन - सुख त्रय सहित । (३) केवलज्ञान - दर्शन दो सहित । ( ४ ) साक्षात अभेदनय से शुद्ध चैतन्य ही एक गुण है - इस प्रकार सक्षेप रुचि वाले शिष्यो के अपेक्षा से सक्षेप में कहा जाता है । प्र० ४०४ - विस्तार रुचि वाले शिष्यों को क्या बताया जाता है २ उत्तर - विशेष अभेदनय की अपेक्षा से सिद्ध भगवान मे ( १ ) }
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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