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मानने के कारण प्रमेयत्व गुण को नही माना?
प्रश्न ३-मै उठा-इस वाक्य पर (१) अगुरुलघुत्व गुण को कब माना और (२) अगुरुलघुत्व गुण को कब नही माना ?
उत्तर-(१) निज आत्मा का और उटने रुप अनन्त पुद्गलो का द्रव्यक्षेत्र-काल-भाव सर्वथा पृथक है। ऐसी मान्यता वाले ने अगुरुलघुत्व गुण को माना और (२) उठने रूप पुद्गलो के कार्यो मे मै उठा-ऐसी मान्यता वालो ने अगुरुलघुत्व गुण को नही माना।
प्रश्न ४-मै उठा-इस वाक्य पर (१) प्रदेशत्व गुण को कब माना और (२) प्रदेशत्व गुण को नहीं माना ? - उत्तर-(१) चैतन्य अरुपी असख्यात प्रदेशी एक निज आकार का और गरीर के उठने रुप जड रुपी एक प्रदेशी पुद्गलो के अनन्त आकारो से सर्वथा सम्बन्ध नहीं है, ऐसी मान्यता वालो ने प्रदेशत्व गुण को माना और (२) जड रुपी एक प्रदेगी पुद्गलो के अनन्त आकारो मे मै उठा ऐसी मान्यता वालो ने प्रदेशत्व गुण को नहीं माना ।
प्रश्न ५-मै उठा-इस वाक्य पर (१) अत्यन्ताभाव को कब माना और (२) अत्यन्ताभाव को कब नही माना?
उत्तर-(१) निज चैतन्य अरुपी ज्ञायक भगवान आत्मा का गरीर के उठने रुप पुद्गलो से किसी भी प्रकार का सम्बन्ध नही है-ऐसी मान्यता वाले ने अत्यन्ताभाव को माना और (२) शरीर के उठने रुप पुद्गलो मे मै उठा-ऐसी मान्यता वालो ने अत्यन्ताभाव को नहीं माना।
प्रश्न ६-मै उठा-इस वाक्य पर (१) अन्योन्याभाव को कब माता और (२) अन्योन्याभाव को कब नही माना?