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उत्तर-गरीर का उठना आत्मा से तो नही हुआ परन्तु द्रव्यकर्म के कारण तो शरीर उठा ऐसा कोई कहता है । अरे भाई द्रव्यकर्म से स्कन्धो की वर्तमान पर्याय का और शरीर के उटने स्प स्कन्धो की वर्तमान पर्यायो मे अन्योन्याभाव है । जव एक जाति के पुद्गलो के कार्यो मे आपस मे सम्बन्ध नहीं है। तो मुझ आत्मा का शरीर उठने के साथ सम्बन्ध कैसे हो सकता है ? कभी भी नही हो सकता है। ऐसी मान्यता वाले ने अन्योन्याभाव को माना और (२) शरीर के उठने रुप क्रिया का आत्मा के साथ तो सम्बन्ध नहीं है परन्तु द्रव्यकर्म के कारण गरीर उठा-ऐसी मान्यता वालो ने अन्योन्याभाव को नही माना।
प्रश्न ७-मै उठा-इस वाक्य मे (१) प्रागभाव और प्रध्वंसाभाव को कब माना और (२) प्रागभाव और प्रध्वसाभाव को कब नही माना?
उत्तर-(१) शरीर के उठने रुप वर्तमान पर्याय का पूर्व पर्याय भी कारण नहीं है और शरीर के उठने रुप वर्तमान पर्याय का भविप्य की पर्याय भी कारण नहीं है क्योकि शरीर के उठने रुप वर्तमान पर्याय का पूर्व पर्याय मे प्रागभाव है और शरीर के उठने रुप वर्तमान पर्याय का भविष्य की पर्याय मे प्रध्वसाभाव है, ऐसी मान्यता वालो ने प्र गभाव और प्रध्वसाभाव को माना और (२) गरीर के उठने रुप
मान पर्याय का पूर्व पर्याय से सम्बन्ध है और गरीर के उटने रुप • य का भविष्य की पर्याय से भी कुछ सम्वन्ध है-ऐसी मान्यता वाले * नागभाव और प्रध्वसाभाव को नही माना ।
प्रश्न -मै उठा-इस वाक्य मे चारो अभाव के समझने से वीतरागता कैसे निकलती है स्पष्टता से समझाइये ?
उत्तर-(१) उठने रुप पुद्गलो का मुझ चेतन आत्मा मे अत्यन्ताभाव है। (२) द्रव्यकर्म और शरीर के उठने रुप वर्तमान पर्यायो मे