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( १६१ ) भावार्थ -प्र० ५-जिन किसे कहते हैं और जिन में कौन-कौन __ आते है ?
उत्तर-निज रद्धात्म द्रव्य के आश्रय से मिथ्यात्व राग-द्वेषादि को जीतने वाली निर्मल परिणति जिसने प्रगट की है वही जैन है। मिथ्यात्व के नाशपूर्वक जितने अश मे जो रागादि का नाश करता है उतने अश मे वह जैन है। वास्तव मे जैनत्व का प्रारम्भ निश्चय सम्यग्दर्शन से ही होता है, जो चतुर्थ गुणस्थान मे प्रगट होता है। (३) असंयत सम्यग्दृष्टि, देशविरत श्रावक और भावलिंगी मुनि जिन मे आते हैं।
प्र० ६-जिनवर किसे कहते हैं और जिनवर मे विशेषरुप से कौन आते हैं ?
उत्तर-जो जिनो मे श्रेष्ठ होते है वे जिनवर है और विशेष रूप से श्री गणधर देव जिनवर मे आते है।
प्र० ७-जिनवरवृषभ किसे कहते हैं और जिनवरवृषभ मे कौन-कौन आते है । तथा ग्रन्थ कर्ता ने विशेष रुप से मंगलाचरण मे किसको याद किया है ?
उत्तर-(१) जो जिनवरो मे भी श्रेष्ठ होते है वे जिनवरवृषभ है। (२) प्रत्येक तीर्थकर भगवान जिनवर वृषभ मे आ जाते है । (३) यहा . ग्रयकर्ता ने मंगलाचरण में प्रथम तीर्थ कर ऋपभदेव को याद किया
प्र० ८-जिन-जिनवर-जिनवर वृषभो ने किसका वर्णन किया है ? उत्तर-जीव और अजीव द्रव्यो का वर्णन किया है। प्र० ६-विश्व किसे कहते है ?
उत्तर-संख्या अपेक्षा अनन्त द्रव्य और जाति अपेक्षा छह द्रव्यो के समूह को विश्व कहते है।