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( १६० ) छठवाँ अधिकार श्री नेमिचन्द्र सिद्धान्त देव रचित
द्रव्य संग्रह प्र० १-द्रव्य सग्रह मे कितनी गाथायें है, और कितने अधिकार
उत्तर--अट्ठावन गाथाये है। और अट्ठावन गाथाओ को तीन अधिकार मे बॉटा गया है।
प्र० २-प्रथम अधिकार मे क्या बताया है ?
उत्तर-प्रथम अधिकार मे २७ गाथाये है और सत्ताईस गाथाओ मे छह द्रव्य, पाँच अस्तिकाय का प्रतिपादन करने वाला प्रथम अधिकार है।
प्र० ३-दूसरे अधिकार मे क्या बताया है ?
उत्तर-दूसरे अधिकार मे ११ गाथाये है ओर ग्यारह गाथाओ मे सात तत्त्व और नव पदार्थ का प्रतिपादन करने वाला दूसरा अधिकार है।
प्र०४ - तोस रे अधिकार मे क्या बताया है ?
उत्तर-तीसरे अधिकार मे २० गाथाये है और बीस गाथाओ मे मोक्षमार्ग का प्रतिपादन करने वाला तीसरा अधिकार है। जीवमजीवं द्रव्व जिणवरवसहेण जेण णिद्दिछ । देविदविद वदे त सव्वदा सिरसा ॥१॥
अर्थ -(जेण जिणवरवसहेण)जिन, जिनवर और जिनवर वृषभ भगवान ने (जीवमजीव द्रव्व) जीव और अजीव द्रव्य का (णिद्दिट्ठ) वर्णन किया है। (देविदविदवद) भवनवासी देव के ४०, व्यन्तर देव के ३२, कल्पवासी देव के २४, ज्योतिषी देव के सूर्य और चन्द्रमा, मनुष्य से चक्रवर्ती तथा तिर्यच से सिह, इस प्रकार देवेन्द्रो के समूह से वन्दनीय (त) उन प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव को मै (सव्वदा) सदा (सिरसा) नत. मस्तक होकर (वदे) वन्दना करता हूँ ॥१॥
मनष्य से चक्रवत
प्रथम तीर्थकर
करता हूँ ॥१॥