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________________ (85) प्र० ७३ - निश्चय सम्यग्दर्शन का निमित्त कौन है ? प्र० ७४ - निश्चय सम्यग्दर्शन के निमित्त कारणों को क्या कहा जाता है ? प्र० ७५ - सम्यग्दर्शन के आठ अग क्या-क्या है ? प्र० ७६ - सम्यग्दर्शन के आठ दोष कौन-कौन से है ? प्र० ७७-आठ सद क्या-क्या है ? प्र० ७८-छह अनायतन क्या-क्या है ? प्र० ७६- तीन मूढ़ता क्या-क्या है ? प्र० ८०- सम्यग्दृष्टि की पहचान क्या है ? प्र० ८१ - पच्चीस दोष क्या-क्या है ? प्र० ८२ - क्या अवती सम्यग्दृष्टि का देव भी आदर करते है ? प्र० ८३ - सम्यग्दृष्टि की ग्रहस्थपने मे प्रीति नही है उसके दृष्टत्त देकर समझाइये ? प्र० ८४ - सम्यक्त्व की महिमा से सम्यग्दृष्टि कहां-कहां उत्पन्न नही होता है ? प्र० ८५ - सम्यग्दृष्टि जीव कहां-कहां उत्पन्न होता है ? प्र० ८६ - सर्वधर्मो का मूल क्या है ? प्र० ८७ - सम्यग्दर्शन के बिना व्रतादि क्या है ? प्र० ८८ - सम्यग्दर्शन के बिना ज्ञान को क्या कहते है ? प्र० ८ - सम्यग्दर्शन के बिना चारित्र को क्या कहते है ?
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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