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________________ ( 22 ) प्र० १० - आत्मार्थी को क्या करना चाहिए ? प्र० ६१- दौलतराम जी ने तीसरी ढ़ाल के अन्त मे क्या शिक्षा दी है ? प्रo ६२-यदि मनुष्य पर्याय से सम्यग्दर्शन प्राप्त न किया तो क्या होगा ? प्र० ९३ - सम्यग्दर्शन कितने प्रकार का है ? प्र ० ६४ - सम्यग्ज्ञान कितने प्रकार है ? प्र० ५ - श्रावकपना कितने प्रकार का है ? प्र० e६ - मुनिपना कितने प्रकार का है ? प्र० ७ - वहिरात्मा को पहिचान क्या है ? प्र० ८ - अन्तरात्मा की पहचान क्या है ? प्र० e६ - क्या निश्चय सम्यग्दर्शन होने पर २५ दोषों का अभाव करना पड़ता है ? प्र० १०० - निश्चय सम्यग्दर्शन होने पर क्या-क्या होता है ? चौथी ढाल की प्रश्नावली 1 प्र० १ - सम्यग्ज्ञान का लक्षण क्या है ? प्र० २ - सम्यकदर्शन और सम्यग्ज्ञान मे क्या अन्तर है ? प्र० ३ - ज्ञान श्रद्धान तो एक साथ होता है तो उसमे कारण कार्यपना क्यों कहते है ? प्र० ४ - सम्यकज्ञान के कितने भेद है ?
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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