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पुद्गल, धर्म-अधर्म, आकाश एक-एक, लोक प्रमाण असख्यात काल द्रव्य तथा शुभाशुभ भावो मे एकत्व बुद्धि, एकत्व का ज्ञान और एकत्व का आचरण ही अज्ञानरूप विज्ञान है। यह अज्ञानरूप विज्ञान इस जीव को चारो गतियो मे भ्रमण कराता है।
प्रश्न-अज्ञानरूप विज्ञान तीन प्रकार का कौन-कौन सा है ?
उत्तर--(१) हिंसादि और अहिंसादि के अध्यवसान से अपने को । हिसादि और अहिंसादि रूप मानना। (२) उदय मे आते हुए नारक, तिर्यच, मनुष्य, देव के अध्यवसान से अपने को नारकी आदिरूप मानना । (३) जानने में आते हुए सब द्रव्यो मे अपने को उस रूप करने की मान्यता। (देखो समयसार गा० २६८ से २७० तक)
प्रश्न-वीतराग विज्ञान क्या है ? उत्तर-स्व-पर के भिन्नपने का ज्ञान वीतराग-विज्ञान है ।
श्री समयसार गा० ७४ मे लिखा है कि 'मिथ्यात्व जाने के बाद जीव चाहे ज्ञान का उघाड अल्प हो, तो भी विज्ञान कहने मे आता है। जैसे-जैसे विज्ञानधन स्वभाव होता जाता है वैसे-वैसे आस्रवो से निवृत्त होता जाता है और जैसे-जैसे आस्रवो से निवृत्त होता जाता है तैसे-तैसे विज्ञानघन स्वभाव होता जाता है।
मुझ निज आत्मा के अलावा विश्व मे अनन्त आत्माये, अनन्तानन्त पुद्गल, धर्म-अधर्म-आकाश एक-एक, लोक प्रमाण असख्यात काल द्रव्य तथा शुभाशुभ भावो मे भिन्नत्व का श्रद्धान, भिन्नत्व का ज्ञान और भिन्नत्व का आचरण ही वीतराग विज्ञान है। वह जीव को चारो गतियो का अभाव करके मोक्ष मे पहुचा देता है।
प्रश्न-मगल शब्द का क्या अर्थ है ?
उत्तर-(१) 'मग अर्थात् सुख, उसे 'लाति' अर्थात् देता है । (२) 'म' अर्थात् पाप, उसे 'गालयति' अर्थात् गाले, दूर करे उसका नाम मगल है। वास्तव मे मिथ्यादर्शनादि भावो पाप है उनका नाश करके सम्यग्दर्शनादि भावो सुख है उनकी प्राप्ति होना वह मगल है।।
हमोक्षमार्गप्रकाशक पृष्ठ ८]