________________ ( 262 ) उत्तर-अध करण अर्थात् हल्का, आत्मा के सन्मुख परिणाम हुआ है परन्तु हल्का है इसलिए अघ करण कहा है। प्रश्न ३२-शास्त्रो में अधःकरण की परिभाषा क्या बताई है ? उत्तर-त्रिकालवर्ती सर्व करणलब्धि वाले जीवो के परिणामो की अपेक्षा ये तीन नाम है। वहाँ करण नाम तो परिणाम का है। जहाँ पहले और पिछले समयो के परिणाम समान हो सो अव करण है। जैसे-किसी जीव के परिणाम उस करण के पहले समय मे अल्प विशुद्धता से सहित हुए, पश्चात समय-समय अनन्तगुणी विशुद्धता से बढते गये, तथा उसके द्वितीय-तृतीय आदि ममयो मे जमे परिणाम हो, वैसे किन्ही अन्य जीवो के प्रथम समय मे ही हो और उनके उससे समय-समय अनन्त गुणी विशुद्धता से बढते हो।-इस प्रकार अध - करण जानना। प्रश्न ३३-अधःकरण का स्वरूप समझने में नहीं आया कृपया दृष्टान्त देकर स्पष्ट कीजिये? उत्तर-तीसरी क्लास में एक विद्यार्थी पढता है, वह एक वर्ष मे मेहनत करके पास होकर चौथी क्लास मे आ जाता है और दूसरा विद्यार्थी दूसरी क्लास में पढता है, वह इतना होशियार है कि वह एक वर्ष मे दो क्लास पास करके चौथी क्लास में पहुच जाता है, वैसे ही आठ बजे जिन्होने अधीकरण माडा हो, वह एक समय के बाद जितनी शुद्धि प्रगट करता है। उतनी शुद्धि आठ बजकर एक मिनट पर अव: करण माडने वाले जीव विशेष पुरुषार्थ द्वारा पहले जीव की जितनी शुद्धि है उतनी ही प्रगट कर लेता है उसे अघ करण कहते हैं / प्रश्न ३४-अपूर्वकरण क्या है ? उत्तर-आत्म सन्मुख परिणाम अपूर्व-अपूर्व ही हो वह अपूर्व करण है। प्रश्न ३५-शास्त्रों में अपूर्व करण की परिभाषा क्या बताई है ? उत्तर-जिसमे पहले और पिछले समयो के परिणाम समान न