________________ ( 266 / दो प्रकार है। (2) जहाँ सच्चे मोक्षमार्ग को मोक्षमार्ग निरूपित किया जाये सो निश्चय मोक्षमार्ग है। (3) और जहां पर जो मोक्षमार्ग तो है नहीं, परन्तु मोक्षमार्ग का निमित्त व सहचारी है-उसे उपचार से मोक्षमार्ग कहा जाये सो व्यवहार मोक्षमार्ग है। (4) क्योंकि निश्चय-व्यवहार का सर्वत्र ऐसा ही लक्षण है। (5) सच्चा निरूपण सो निश्चय, उपचार निरूपण सो व्यवहार-इसलिए निरूपण अपेक्षा दो प्रकार का मोक्षमार्ग जानना। (6) किन्तु एक निश्चय मोक्षमार्ग है, एक व्यवहार मोक्षमार्ग है-इस प्रकार दो मोक्षमार्ग मानना मिथ्या है।" इस वाक्य पर मुनिपने को लगाकर समझाइये ? उत्तर-(१) सो मुनिपना दो प्रकार का नहीं है, मुनिपने का निरूपण दो प्रकार का है। (2) जहाँ पर तीन चौकडी कषाय के अभावरूप सकलचारित्ररूप शुद्धि को मुनिपना निरूपित किया जाये सो निश्चय मुनिपना है / (3) और जहाँ पर 28 मूलगुणरूप अशुद्धि मुनिपना तो है नहीं, परन्तु सकलचारित्र शुद्धिरूप मुनिपने का निमित्त है व सहचारी है / उस 28 मूलगुणरूप अशुद्धि को उपचार से मुनिपना कहा जाये सो व्यवहार मुनिपना है। (4) क्योकि निश्चय-व्यवहार मुनिपने का चारो अनुयोगो मे ऐसा ही लक्षण है। (5) सकलचारित्र रूप शुद्धि मुनिपने का सच्चा निरूपण है-सो निश्चय मुनिपना है और 28 मूलगुणरूप अशुद्धि मुनिपने का उपचार निरूपण है सो व्यवहार मुनिपना है / इसलिये निरूपण अपेक्षा दो प्रकार का मुनिपना जानना। (6) किन्तु एक सकल चारित्र शुद्धिरूप निश्चय मुनिपना है और एक 28 मूलगुण अशुद्धिरूप व्यवहार मुनिपना है / इस प्रकार दो मुनिपना मानना मिथ्या है। प्रश्न 3--"(1) तथा निश्चय-व्यवहार दोनो को उपादेय मानता है, वह भी भ्रम है। (2) क्योकि निश्चय-व्यवहार का स्वरूप तो परस्पर विरोध सहित है। (३)कारण कि समयसार मे ऐसा कहा है। (4) व्यवहार अभूतार्थ है सत्य स्वरूप का निरूपण नहीं करता, किसी