________________ ( 263 ) ससार का मूल मिथ्यात्व है। मिथ्यात्व के समान अन्य कोई पाप [मोक्षमार्गप्रकाशक पृष्ठ 266] 'नही है। (18) श्री पंचास्तिकाय से एकान्त व्यवहाराभासी का 11 प्रश्नो द्वारा स्पष्टीकरण प्रश्न १-एकान्त व्यवहाराभासो किसका अवलम्बन करते हैं ? उत्तर-एकमात्र व्यवहार का अवलम्बन करते है / प्रश्न २-एकान्त व्यवहाराभासी एकमात्र व्यवहार का अवलम्बन / क्यो करते हैं? ' उत्तर-"वास्तव मे साध्य और साधन अभिन्न होते हैं, उसका अनुभव-ज्ञान ना होने से वास्तव मे शुभभावरूप साधन से ही शुद्धभाव रूप साध्य प्राप्त होगा।" ऐसी खोटी श्रद्धा और खोटा ज्ञान होने से ही एकमात्र व्यवहार का अवलम्बन करते हैं। प्रश्न ३-एकान्त व्यवहाराभासी श्रद्धा के लिये क्या करते हैं और क्या नहीं करते हैं ? उत्तर-धर्मादि पर द्रव्यो की श्रद्धा करते हैं, आत्मा को श्रद्धा नही करते हैं। प्रश्न ४-एकान्त व्यवहाराभासी ज्ञान के लिये क्या करते हैं, क्या' _ नहीं करते हैं ? उत्तर-द्रव्यश्रुत के पठन-पाठनादि सस्कारो से अनेक प्रकार के विकल्प जाल से चैतन्य वृत्ति को धारण करते हैं, आत्मा का ज्ञान नहीं करते हैं। प्रश्न ५-एकान्त व्यवहाराभासी चारित्र के लिये क्या करते हैं ? / उत्तर-यति के समस्त व्रत समुदायरूप तपादि प्रवृत्तिरूप कर्मकाण्डो की धमार मे पागल बने रहते हैं किसी पुण्य की रुचि करते हैं, कभी दयावन्त होते हैं।