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( ६ ) परमार्थ से बाह्य क्रिया मोक्षमार्ग नही है - ऐसा ही श्रद्धान करना । इस प्रकार व्यवहारनय अगीकार करने योग्य नही है, ऐसा जानना ।
प्रश्न २५४ - व्यवहारनय से ज्ञानों के व्रत-शीलादि को मोक्षमार्ग कहा, तथा निश्चयनय से शुद्धि प्रगटी उसे ही मोक्षमार्ग कहा- ऐसा बताने के पीछे क्या रहस्य है ?
उत्तर - वास्तव मे वीतरागता ही मोक्षमार्ग है अस्थिरता सम्बन्धी राग मोक्षमार्ग नही है, बन्ध मार्ग है। इसमे चरणानुयोग के शास्त्रो का अर्थ करने की बात समझाई है ।
प्रश्न २५५ - चौथे गुणस्थान की सिश्रदशा मे निमित्तनैमित्तिक क्या है ?
उत्तर - श्रद्धा गुण की शुद्ध पर्याय सम्यग्दर्शन तथा स्वरूपाचरणचारित्र नैमित्तिक है, सच्चे देव गुरु-शास्त्र के प्रति राग व सात तत्त्वो की भेदरूप श्रद्धा निमित्त है ।
प्रश्न २५६ - ( १ ) चौथे गुणस्थान में अशुद्धि अंश का किसके साथ तथा (२) शरीर की क्रिया का किसका किसके साथ निमित्तनैमित्तिक सम्बन्ध है ?
उउर - (१) सच्चे देव - गुरु-शास्त्र के प्रति राग व सात तत्त्वो की भेदरूप श्रद्धा नैमित्तिक है; चारित्र मोहनीय द्रव्यकर्म का उदय निमित्त है तथा (२) हाथ जोडना आदि - शब्दरूप वचन नैमित्तिक है, सच्चे देवगुरु-शास्त्र के प्रति शुभराग निमित्त है ।
प्रश्न २५७ -- पाँचवें गुणस्थान की मिश्रदशा से निमित्त - नैमित्तिक क्या है ?
उत्तर - देशचारित्ररूप वीतरागता नैमित्तिक है; बारह अणुव्रतादि का राग निमित्त है ।
प्रश्न २५८ - ( १ ) पाँचवें गुणस्थान में अशुद्धि अंश का किसके साथ (२) तथा अणुततादि शरीर की क्रिया का किसके साथ निमित्तनैमित्तिक सम्बन्ध है ?