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( २१० । प्रश्न २०६-मानस्तम्भ कारण, गौतम को सम्यग्दर्शन हा कार्य-इस वाक्य पर कारण कार्य का स्पष्टीकरण करो ?
उत्तर–प्रश्न १६४ से २०० के अनुसार उत्तर दो।
प्रश्न २०७-अनन्तानुबन्धी अप्रत्याख्यान क्रोधादि द्रव्य कर्म का अभाव कारण, देशचारित्र कार्य-इस वाक्य पर कारण कार्य का स्पष्टीकरण करो? उत्तर-प्रश्न १६४ से २०० तक के अनुसार उत्तर दो।
(१०) भेद-अभेद का स्पष्टीकरण प्रश्न २०८-व्यवहार भेद बिना निश्चय अभेद का उपदेश कैसे नहीं होता? इसको दूसरी तरह समझाइये।
उत्तर-निश्चय से आत्मा अभेद वस्तु है । उसे जो नही पहिचानते, उनसे इसी तरह कहते रहे तब तो वे समझ नही पाये । तब उसको अभेद वस्तु मे भेद उत्पन्न करके ज्ञान-दर्शनादि गुण-पर्यायरूप जीव के विशेप किये, तब जानने वाला जीव है-देखने वाला जीव
है-इत्यादि प्रकार सहित जीव की पहिचान हुई । इस प्रकार व्यवहार - भेद बिना निश्चय अभेद के उपदेश का न होना जानना।
प्रश्न २०६-व्यवहार भेव बिना निश्चय अभेद का उपदेश कैसे नहीं होता-इस बात का उत्तर प्रश्न २०८ में दिया-अब इस प्रश्न ___ के उत्तर को और स्पष्ट कीजिये?
__-उत्तर-प्रश्न २०८ के उत्तर मे अभेद आत्मा की गुणभेद द्वारा 'पहचान कराई है। समयसार गाथा सात के भावार्थ मे अभेद को मुख्य * करके भेद को अवस्तु कहा है, क्योकि भेद के लक्ष्य से रागी को राग
उत्पन्न होता है। यहाँ पर पडित जी ने भेद से अभेद को समझाया है। इस प्रकार व्यवहार भेद बिना निश्चय अभेद के उपदेश का न होना जानना।
इत्यादि प्रकार, तब जानने कारक ज्ञान-द