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________________ ( २०६ ) कारण, ज्ञान हुआ कार्य को ही सच्चा मानता है उसे शास्त्रो में किसकिस नाम से सम्बोधित किया है ? उत्तर - ( १ ) पुरुषार्थ सिद्धयुपाय मे " तस्य देशना नास्ति" कहा है, (२) नाटक समयसार मे 'मूर्ख' कहा है । ( ३ ) आत्मावलोकन मे "हरामजादीपना" कहा है । ( ४ ) समयसार कलश ५५ मे " अज्ञान मोह अन्धकार है, उसका सुलटना दुर्निवार है" ऐसा कहा है, ( ५ ) प्रवचनसार मे 'पद-पद पर धोखा खाता है' ऐसा कहा है, ( ६ ) समयसार और मोक्षमार्ग प्रकाशक मे 'मिथ्यादृष्टि' आदि शब्दों से सम्बधित किया है। प्रश्न २०१ - केवलज्ञानावरणीय कर्म का अभाव कारण, केवलज्ञान हुआ कार्य - इस वाक्य पर दोनों कारण- कार्यों का स्पष्टीकरण करो ? उत्तर - प्रश्न १६४ से २०० तक के अनुमार उत्तर दो । प्रश्न २०२ - शास्त्र कारण, ज्ञान हुआ कार्य -- इस वाक्य पर दोनो कारण कार्यों का स्पष्टीकरण करो ? उत्तर -- प्रश्न १६४ से २०० तक के अनुसार उत्तर दो । प्रश्न २०३ - वाई कारण, रोटी कार्य --- इस वाक्य पर दोनों कारण-कार्यो का स्पष्टीकरण करो ? उत्तर - प्रश्न १६४ से २०० तक के अनुसार उत्तर दो । प्रश्न २०४ -- दर्शनमोहनीय का उपशम कारण, औपशमिक सम्यक्त्व कार्य - इस वाक्य पर दोनो कारण कार्यों का स्पष्टीकरण करो ? उत्तर - प्रश्न १९४ से २०० तक के अनुसार उत्तर दो । प्रश्न २०५ - बढ़ई कारण, अलमारी कार्य-- इस वाक्य पर दोनों कारण कार्यो का स्पष्टीकरण करो ? उत्तर -- प्रश्न १६४ से २०० के अनुसार उत्तर दो ।
SR No.010121
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages317
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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